Rajat Jain 🚩 #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Podcast af Rajat Jain
Chanting And Recitation Of Jain & Hindu Mantras And Prayers.
Prøv gratis i 7 dage
Efter prøveperioden kun 79,00 kr. / måned.Ingen binding.
Alle episoder
1035 episoderHanumat Mantra Anushthan हनुमत् मन्त्र अनुष्ठान (प्रस्तुत विधान के प्रत्येक मन्त्र के ११००० ‘जप‘ एवं दशांश ‘हवन’ से सिद्धि होती है। हनुमान जी के मन्दिर में, ‘रुद्राक्ष’ की माला से ब्रह्मचर्य-पूर्वक ‘जप करें। कठिन-से-कठिन कार्य इन मन्त्रों की सिद्धि से सुचारु रुप से होते हैं।) ★ ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, वायु-सुताय, अञ्जनी-गर्भ-सम्भूताय, अखण्ड-ब्रह्मचर्य-व्रत-पालन-तत्पराय, धवली-कृत-जगत्-त्रितयाय, ज्वलदग्नि-सूर्य-कोटि-समप्रभाय, प्रकट-पराक्रमाय, आक्रान्त-दिग्-मण्डलाय, यशोवितानाय, यशोऽलंकृताय, शोभिताननाय, महा-सामर्थ्याय, महा-तेज-पुञ्जः-विराजमानाय, श्रीराम-भक्ति-तत्पराय, श्रीराम-लक्ष्मणानन्द-कारणाय, कवि-सैन्य-प्राकाराय, सुग्रीव-सख्य-कारणाय, सुग्रीव-साहाय्य-कारणाय, ब्रह्मास्त्र-ब्रह्म-शक्ति-ग्रसनाय, लक्ष्मण-शक्ति-भेद-निवारणाय, शल्य-विशल्यौषधि-समानयनाय, बालोदित-भानु-मण्डल-ग्रसनाय, अक्षकुमार-छेदनाय, वन-रक्षाकर-समूह-विभञ्जनाय, द्रोण-पर्वतोत्पाटनाय, स्वामि-वचन-सम्पादितार्जुन, संयुग-संग्रामाय, गम्भीर-शब्दोदयाय, दक्षिणाशा-मार्तण्डाय, मेरु-पर्वत-पीठिकार्चनाय, दावानल-कालाग्नि-रुद्राय, समुद्र-लंघनाय, सीताऽऽश्वासनाय, सीता-रक्षकाय, राक्षसी-संघ-विदारणाय, अशोक-वन-विदारणाय, लंका-पुरी-दहनाय, दश-ग्रीव-शिरः-कृन्त्तकाय, कुम्भकर्णादि-वध-कारणाय, बालि-निर्वहण-कारणाय, मेघनाद-होम-विध्वंसनाय, इन्द्रजित-वध-कारणाय, सर्व-शास्त्र-पारंगताय, सर्व-ग्रह-विनाशकाय, सर्व-ज्वर-हराय, सर्व-भय-निवारणाय, सर्व-कष्ट-निवारणाय, सर्वापत्ति-निवारणाय, सर्व-दुष्टादि-निबर्हणाय, सर्व-शत्रुच्छेदनाय, भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-ध्वंसकाय, सर्व-कार्य-साधकाय, प्राणि-मात्र-रक्षकाय, राम-दूताय-स्वाहा।। २. ॐ नमो हनुमते, रुद्रावताराय, विश्व-रुपाय, अमित-विक्रमाय, प्रकट-पराक्रमाय, महा-बलाय, सूर्य-कोटि-समप्रभाय, राम-दूताय-स्वाहा।। ३. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय राम-सेवकाय, राम-भक्ति-तत्पराय, राम-हृदयाय, लक्ष्मण-शक्ति-भेद-निवारणाय, लक्ष्मण-रक्षकाय, दुष्ट-निबर्हणाय, राम-दूताय स्वाहा।। ४. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्व-शत्रु-संहारणाय, सर्व-रोग-हराय, सर्व-वशीकरणाय, राम-दूताय स्वाहा।। ५. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, आध्यात्मिकाधि-दैविकाधि-भौतिक-ताप-त्रय-निवारणाय, राम-दूताय स्वाहा।। ६. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, देव-दानवर्षि-मुनि-वरदाय, राम-दूताय स्वाहा।। ७. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, भक्त-जन-मनः-कल्पना-कल्पद्रुमाय, दुष्ट-मनोरथ-स्तम्भनाय, प्रभञ्जन-प्राण-प्रियाय, महा-बल-पराक्रमाय, महा-विपत्ति-निवारणाय, पुत्र-पौत्र-धन-धान्यादि-विविध-सम्पत्-प्रदाय, राम-दूताय स्वाहा।। ८. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, वज्र-देहाय, वज्र-नखाय, वज्र-मुखाय, वज्र-रोम्णे, वज्र-नेत्राय, वज्र-दन्ताय, वज्र-कराय, वज्र-भक्ताय, राम-दूताय स्वाहा।। ९. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पर-यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र-त्राटक-नाशकाय, सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्त्तकाय, सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्व-दुष्ट-मुख-स्तम्भनाय, सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय, राम-दूताय स्वाहा।। १०. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्ट-ग्रह-बन्धनाय, राम-दूताय स्वाहा।। ११. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पँच-वदनाय पूर्व-मुखे सकल-शत्रु-संहारकाय, राम-दूताय स्वाहा।। १२. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पञ्च-वदनाय दक्षिण-मुखे कराल-वदनाय, नारसिंहाय, सकल-भूत-प्रेत-दमनाय, राम-दूताय स्वाहा।। १३. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पञ्च वदनाय पश्चिम-मुखे गरुडाय, सकल-विष-निवारणाय, राम-दूताय स्वाहा।। १४. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पञ्च वदनाय उत्तर मुखे आदि-वराहाय, सकल-सम्पत्-कराय, राम-दूताय स्वाहा।। १५. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, उर्ध्व-मुखे, हय-ग्रीवाय, सकल-जन-वशीकरणाय, राम-दूताय स्वाहा।। १६. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, सर्व-ग्रहान, भूत-भविष्य-वर्त्तमानान्- समीप-स्थान् सर्व-काल-दुष्ट-बुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय पर-बलानि क्षोभय-क्षोभय, मम सर्व-कार्याणि साधय-साधय स्वाहा।। १७. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पर-कृत-यन्त्र-मन्त्र-पराहंकार-भूत-प्रेत-पिशाच- पर-दृष्टि-सर्व-विध्न-तर्जन-चेटक-विद्या-सर्व-ग्रह-भयं निवारय निवारय स्वाहा।। १८. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, डाकिनी-शाकिनी-ब्रह्म-राक्षस-कुल-पिशाचोरु- भयं निवारय निवारय स्वाहा।। १९. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, भूत-ज्वर-प्रेत-ज्वर-चातुर्थिक-ज्वर-विष्णु-ज्वर-महेश-ज्वर निवारय निवारय स्वाहा।। २०. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, अक्षि-शूल-पक्ष-शूल-शिरोऽभ्यन्तर-शूल-पित्त-शूल-ब्रह्म-राक्षस-शूल-पिशाच-कुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।। ◆
Siddh Beej Mantra सिद्ध बीजमंत्र • माँ शक्ति की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिये नवरात्रि में इस सिद्ध बीजमंत्र की साधना जरूर करें :- • || ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं ह्रः ऐं नमः || • इस बीजमंत्र की साधना सभी राशि के जातक कर सकते हैं। कुश का आसन,रक्त चन्दन की माला, मिठाई का भोग उत्तर दिशा की ओर मुख करके, देशी गाय के घी का अखंड दीपक जलाकर, ब्रह्मचर्य तथा पूर्ण शुद्धि के साथ नवरात्रि के 9 दिनों में 12500 जप अर्थात 125 माला पूर्ण करने से इष्टकार्य की सिद्धि होती है । तत्पश्चात् उपरोक्त बीजमंत्र की प्रतिदिन 1 माला का जप अवश्य करें । आचार, विचार, व्यवहार, खान-पान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखे! महाकाल सब का कल्याण करें
Lakshmi Prapti Jain Mantra लक्ष्मी प्राप्ति जैन मन्त्र ★ ॐ ह्रीं अर्हम णमो विपपोसहिपत्ताणं मम शीघ्र लक्ष्मी लाभं भवतु ★ इस मंत्र का नियमित जाप शीघ्र देगा लक्ष्मी
Chandrashekhar Ashtakam चन्द्रशेखराष्टकम् ◆ चन्द्रशेखराष्टकम् चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् । चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् । क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥ मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम् । देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 2 ॥ कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् । अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 3 ॥ पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् । भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 4 ॥ यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम् शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् । क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम् चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 5 ॥ भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् । भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 6 ॥ विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनम् । क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 7 ॥ भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमम् । सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ 8 ॥ फलशृति विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं संहरन्तमपिप्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् । क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 9 ॥ मृत्युभीत मृकण्डुसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् । पूर्णमायुररोगतामखिलार्थसम्पदमादरं चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥ 10 ॥ ◆
Fever Curing Mantra ज्वरनाशक मन्त्र ★ ॐ ह्रीं अहं सर्व ज्वरं नाशय- नाशय, ॐ णमो सर्वोषधिवंताण ह्रीं नमः ★ विधि- १०८ बार या २१ बार पानी मन्त्रित करके पिलावें तो सर्व ज्वर पीड़ा जाय।
Tilgængelig overalt
Lyt til Podimo på din telefon, tablet, computer eller i bilen!
Et univers af underholdning på lyd
Tusindvis af lydbøger og eksklusive podcasts
Ingen reklamer
Spild ikke tiden på at lytte til reklamepauser, når du lytter til Podimos indhold.
Prøv gratis i 7 dage
Efter prøveperioden kun 79,00 kr. / måned.Ingen binding.
Eksklusive podcasts
Uden reklamer
Gratis podcasts
Lydbøger
20 timers / måned