
Suresh Verma
Podcast af Suresh Verma
ये पॉडकास्ट मेरे पिताजी श्री सुरेश वर्मा "नीलकंठ" ग्राम बेलाही नीलकंठ के द्वारा लिखे हुए रचनाओं से है ,जीवन साहित्य में उनका गहरा लगाओ ह। राष्ट्रीय स्तर पे भी कई बार सम्मानित हुए है।पिता जी को फेसबुक भी चलाने नहीं आता है , एक पुत्र होने के नाते मैं उनकी अमूल्य रचनाओं को लोगो के बीच ले जाऊँगा। जब तक लोग मुझे सुरेश वर्मा जी के पुत्र के नाम से जानेंगे तब तब मुझे अपने आप छोटा सा बालक महसूस होगा और एक बालक होना जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी है। आपसे आग्रह करने चाहूंगा की उनकी रचनाओं को सुने और लोगो के बीच पहुचाये।
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आशा लिख रहा है आज महीनों बाद आपके बीच अपनी एक कविता ले कर आया हूं, इस त्रासद काल में जब वक्त बेहद क्रूर हो चला है मौत का नंगा नृत्य जारी है और समय पहाड़ से भी भारी है ऐसे में अपने भी मुंह मोड़ने लगे हैं नाते तोड़ने लगे हैं रिश्तो की बुनियाद एकबारगी हिलने लगी है इसी कसक और पीड़ा को अपनी कविता में जिया है मैंने कविता का शीर्षक है आशा लिख रहा है सुरेश वर्मा सीतामढ़ी #sureshverma #sv #merikavitaye #sahitya #sahityakar #SahityaAkademi #hindi #corona #hope #techieu #ujjwalverma #uv Please like my video and subscribe to my channel https://www.youtube.com/channel/UC3xxD-kxQOmo5OIQdddXDlw Follow me on Facebook https://www.facebook.com/Sureshbelahi007 Video Editor : TechieU Please like my video and subscribe to my channel https://www.youtube.com/Techieu Please support me on Facebook: https://www.facebook.com/techieu007 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/sureshbelahi/message

जीवन और मर्म की धड़कनो की समाहित करने वाला ये कविता उस हर व्यक्ति से सम्बन्ध रखता है जो अपने जीवन में बहुत आभाव को देखा है परन्तु वो अपने बच्चो को ऐसे आभाव में नहीं देखना चाहत। इसमें एक पिता की कैसे विवश है अपने बच्चो के लिए। वही एक पुत्र अपने पिता के बीच का संवाद भी है। https://www.youtube.com/channel/UC3xxD-kxQOmo5OIQdddXDlw https://www.facebook.com/Suresh-Verma-107831824426719 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/sureshbelahi/message

इस कविता में, पिताजी अपने शब्दों से एक कविता से बात कर रहे है। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/sureshbelahi/message

इस कविता में मेरे पिता अपने पिता यानि दादाजी "बाबा" को याद कर रहे है। बेहद मार्मिक तरह से शब्दों को पिरोया गया इस कविता को सुन के मेरे आँख भी नम हो गयी। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/sureshbelahi/message

ये कविता मेरे पिता अपने बचपन को याद करते लिखा है, ऐसा शायद उस दौर में आम बात रही होगी लेकिन सोचने वाली बात है हम लोग ने अपने जीवन को एक राजकुमार के जैसा जिया है लेकिन हमारे जीवन के असली नायक किस किस अभाव को झेला है। ये कविता जीवन की यात्रा को बताती है। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/sureshbelahi/message
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