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Mehr Voice Of Sanket
यहाँ थोक भाव मे टूटे दिलों का हाल बयाँ होता है, और उसकी मरहमपट्टी की जाती है!
उत्तर प्रदेश - अधोपतन से उर्ध्वगमन तक
उत्तर प्रदेश - दुनिया को प्रतिभा का कच्चा माल देकर खुद अपने हँसते खेलते आँगन को कंगाल कर दे रहा था। उसी पर एक टिप्पणी।
ज़ेहरा और मानव - टीस का पूर्णविराम
पूर्ण विराम और हज़ारों खाली पन्ने
ज़ेहरा और मानव - महकी मुलाकातें
बात या साथ, दोनों में क्या खास जब ये समझ आना बंद हो जाए तो आप की मुलाकातें महक उठती हैं।
ज़ेहरा और मानव - सिलसिला
बातें बेल की तरह हैं, जहां सहारा मिला वहीं बढ़ जाती हैं, और फैलने लगती हैं छाने लगती हैं। और अगर बातों में दम हो तो बातों से उपजी यादें एक दिन बरगद बन जाती हैं, जितनी पुरानी उतनी ही शाखाएँ और उनसे लटकती उतनी ही जड़ें।
ज़ेहरा और मानव - रात के दो-ढाई बजे
बातें ही बात बढ़ाती हैं, बशर्ते लोग बातें कर रहे हों, बस बोल न रहे हों।