
Padhaku Nitin
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Air Chief Marshal Amar Preet Singh ने दिल्ली के मंच से HAL पर सीधा निशाना साधा और कहा- HAL से नहीं हो पा रहा है. ये सिर्फ टेक्निकल नहीं, एक नीतिगत चेतावनी है. इस एपिसोड में बात होगी, HAL की सुस्ती, अधूरे प्रोजेक्ट्स, भरोसे की गिरती साख और भविष्य के ड्रोन युद्ध की तैयारी पर. हमसे जुड़ रहे हैं वरिष्ठ रक्षा पत्रकार संदीप उन्नीथन। पढ़ाकू नितिन में हमने उनसे पूछा- HAL की धीमी रफ्तार का बोझ क्या सैनिक उठा रहे हैं, भारत ड्रोन रेस में क्यों पिछड़ रहा है और क्या प्राइवेट प्लेयर्स सेना को नई रफ्तार दे सकते हैं? सुनिए, 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

बांग्लादेश में संसद खत्म, सड़कों पर सेना और सत्ता एक ऐसे शख्स के हाथ में, जिसे जनता ने चुना ही नहीं, नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस. शेख़ हसीना नज़र नहीं आ रहीं. तो क्या यूनुस सत्ता में लाए गए हैं? अगर हां, तो अमेरिका, चीन या किसी और के इशारे पर? भारत क्यों चुप है लेकिन बेचैन भी? इस एपिसोड में जानिए बांग्लादेश की मौजूदा राजनीति, अमेरिका-चीन की चालें और भारत की चिंता, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

अनुज धर — वो नाम जिन्होंने नेताजी की मौत के रहस्य को अपनी ज़िंदगी का मिशन बना लिया. बीते 25 सालों में उन्होंने नेताजी पर कई किताबें लिखीं — ‘What Happened to Netaji’, ‘Conundrum’, ‘The Bose Deception’ — जिनमें हैं दस्तावेज़, सबूत और वो सवाल जो अब तक अनसुने रहे. उनका मानना है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी. आज हमने अनुज धर को अपने पॉडकास्ट में बुलाया और उनसे सीधे सवाल किए — सरकारी कहानी पर उन्हें शक क्यों है, असल में उस दिन हुआ क्या था और वो कौन लोग हैं जो नेताजी का सच छुपा रहे हैं, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.

एक वक्त था जब तुर्की भारत का करीबी माना जाता था, व्यापार, पर्यटन और संस्कृति—हर मोर्चे पर रिश्ते मज़बूत हो रहे थे. वही तुर्की भारत के लिए एक कूटनीतिक और वैचारिक चुनौती बनता जा रहा है. चाहे कश्मीर का मुद्दा हो या संयुक्त राष्ट्र का मंच—तुर्की अक्सर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता है. एर्दोगान अब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक ऐसी विचारधारा के प्रतिनिधि हैं जो 'खिलाफ़त' को नई ज़मीन देना चाहती है, दक्षिण एशिया तक. तो सवाल ये है— क्या तुर्की का ये रुख सिर्फ डिप्लोमेसी है या कोई गहरा एजेंडा? क्या तुर्की-पाकिस्तान-चीन की तिकड़ी भारत के लिए नई चुनौती बन रही है? आज पढ़ाकू नितिन में हमारे साथ हैं वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार प्रकाश के रे. बात करेंगे एर्दोगान की रणनीति, तुर्की की वैचारिक राजनीति और इसके असर पर भारत, पाकिस्तान और इज़रायल जैसे देशों के साथ, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में

इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विलियम ग्लैडस्टन ने कहा था—“Justice delayed is justice denied.” यानि अगर न्याय मिलने में देर हो जाए, तो समझिए वो मिला ही नहीं, अब भारत की हकीकत देखिए—हाई कोर्ट में औसतन 5 से 6 साल लगते हैं फैसले में और ज़िला अदालतों में तो 10 साल तक भी. पटना हाई कोर्ट में एक केस को सुनने का औसत समय? सिर्फ़ दो मिनट! ऐसे में आम आदमी की ज़िंदगी अदालतों के चक्कर लगाते ही बीत जाती है. 'पढ़ाकू नितिन’ के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं न्याय में देरी की उस गंभीर समस्या की, जो लोगों का सिस्टम से भरोसा तोड़ रही है. हमारे साथ हैं ‘तारीख़ पर जस्टिस’ किताब के लेखक प्रशांत रेड्डी और चित्राक्षी जैन, जो बताएंगे जजों की कमी और उनकी बढ़ती उम्र क्यों है चिंता की बात, ज़िला अदालतों के जज किससे डरते हैं, और न्यायपालिका में पारदर्शिता की इतनी कमी क्यों है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.